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रासायनिक आवर्त सारिणी की पूर्णता के 150 वर्ष


रासायनिक आवर्त सारिणी की पूर्णता के 150 वर्ष : अवधेश पांडे

                
   


रसायन विज्ञान की अपनी भाषा और अपनी अलग वर्णमाला है जिसे आम आदमी तक पहुंचाना बहुत कठिन कार्य है। गांव की कहावत है कि ‘’गूंगा जानें या उसके घर वाले जानें।‘’ अर्थात गूंगा आदमी इशारे या हावभाव से क्या कहना चाहता है यह या तो वह खुद जान सकता है या उसके घर वाले  ही जान सकते हैं। इस कहावत को मैं उस बात के सम्बंध में कह रहा हूँ जो आज से 110 वर्ष पूर्व जर्मेनियम की खोज करने वाले जर्मनी के वैज्ञानिक क्लीमेंस विंकेलर ने रॉयल सोसाइटी के समक्ष अपना भाषण देते हुए कहा- ‘’ तत्वों की दुनिया एक नाटकीय थियेटर की तरह है। नाटक में रासायनिक तत्व एक के बाद दूसरे दृश्य में किरदारों की तरह आपके सामने आते हैं। हर तत्व बिना कुछ बोले अपने हावभाव और अदाओं से आपको लुभाता है। हर तत्व की अपनी भूमिका होती है न कम न अधिक।‘’


तत्वों की खोज की जो सारिणी दी गयी है उसमें 16 तत्वों की खोज सन 1750 से पहले हो चुकी है। जिनमें 10 तत्व प्राचीन काल से ज्ञात हैं। प्राचीन काल से मतलब कुछ भी हो सकता है। इसका मतलब ये तत्व ऐसे हैं जिनके बारे में प्राचीन जमाने के लोग नहीं जानते थे कि वे एक तत्व को उपयोग कर रहे हैं। इन तत्वों में लोहा(Fe), कार्बन(C ), स्वर्ण(Au),  चांदी(Ag), पारा(Hg), टिन(Sn), तांबा(Cu), लैड(Pb) और गंधक(S) ऐसे हैं जिनकी खोज का कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है।

बाकी बचे 6 तत्वों में अकेला फॉस्फोरस ऐसा है जिसकी खोज की तिथि एकदम सही सन 1669 ज्ञात है। हुआ यह कि उन दिनों एक गलतफहमी विज्ञान जगत में फ़ैल गयी कि पारसमणि पत्थर से किसी भी धातु को  स्पर्श कर उसे स्वर्ण में बदला जा सकता है। जर्मनी के हैम्बर्ग शहर का एक सनकी व्यापारी हेनिंग ब्रांड ने सोना बनाने के चक्कर में अपना घर द्वार सबकुछ बेच डाला और वह दिवालिया हो गया। दरअसल ब्रांड ने एक खनिज फ़ास्फोराईट को मानव मूत्र के साथ गर्म कर एक चमकीला पदार्थ प्राप्त किया जिसे वह सोना समझ रहा था। ब्रांड इस खबर को काफी दिन तक छिपाये रहा परन्तु उसने अपने मित्र क्विंके को यह रहस्य बता दिया। क्विंके ने अनेक प्रयोग के बाद बताया कि यह कि यह चमकीला पदार्थ सोना नहीं अपितु नया तत्व है। उसने फ़ास्फोराईट को कोक व सिलिका के साथ गर्म करके फॉस्फोरस बनाया। इस प्रकार फास्फोरस सहित पांच तत्व सोना बनाने की सनक के कारण खोजे जा सके। सोना तो नहीं बना पर मेंडलीफ की सारिणी का V A समूह जरूर भर गया।

                

                   अंग्रेज वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल

जब प्रकृति से प्राप्त 10 तत्व ही मानव जाति के समक्ष मौजूद थे, ब्रिटिश वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल ने अपनी पुस्तक The Skeptical Chemist में लिखा '' मैं इस धारणा का खण्डन करता हूँ कि तत्व केवल कुछ गुणों के वाहक होते हैं। मेरा मानना है कि तत्व असंख्य गुणों के वाहक हैं। मैं तत्वों की सीमित संख्या वाली अरस्तू की धारणा का भी पुरजोर खण्डन करता हूँ।''

इस तरह महान वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल ने रसायन विज्ञान को अलग विज्ञान के रूप में मान्यता दिलाई। उन्होंने तत्वों की खोज में सीमित संख्या की धारणा का खंडन करके एक तरह से सुप्त वैज्ञानिक समाज को जाग्रत कर दिया ।  अगर रॉबर्ट बॉयल न होते तो रसायन विज्ञान ही नहीं होता और मेंडलीफ या उनकी आवर्त सारिणी के होने का सबाल ही पैदा नहीं होता। वे हमारे सबसे बड़े पुरखा हैं।

सारिणी में सबसे ज्यादा तत्वों की खोज का पहला काल 1801 से 1825 के बीच का है जिसमें 18 तत्व खोजे गए। वैज्ञानिक खोजें उसी समय होती हैं जब समाज खोजी वैज्ञानिकों की अगवानी में खड़ा हो। इस काल में रासायनिक विश्लेषण अपने चरम पर था। कालप्रोत, बर्जीलियस और डेवी जैसे धुरंदर वैज्ञानिक यूरोप की धरती पर अवतरित हुए जहां का समाज व राज्य उनकी अगवानी में खड़ा था। उनके कुशाग्र और खोजी दिमाग ने यूरोप को वैज्ञानिकता से सराबोर कर दिया। बर्जीलियस ने सीरियम(Ce), सिलेनियम(Se), सिलिकन(Si) व थोरियम(Th) कालप्रोत ने टाइटेनियम(Ti), जिरकोनियम(Zr) व यूरेनियम(U) , बॉलस्टोन ने रोहडियम(Rh) व पैलेडियम (Pd)  टेनांट ने ऑस्मियम(Os) व इरीडियम(Ir) की खोज कर रसायन के इस समय को स्वर्णिम बना दिया।
  
                     
                        आवर्त सारिणी के पुरोधा

इसके बाद दो कालखण्डों 1826 से 1850 व 1851 से 1875 तक के समय में मात्र 7+5=12 तत्व ही खोजे जा सके। इसका कारण यह है कि विद्युत रासायनिक विश्लेषण से वैज्ञानिक चिपके रहे जिसने वैज्ञानिकों को घोड़े की आंखों पर झाप लगाने का कार्य किया और वैज्ञनिक कल्पनाशीलता एक दिशा में शिफ्ट हो गयी जिसका अनुसंधान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इन 12 तत्वों ने आवर्त सारिणी के 3A समूह भरने और लेन्थेनम(La) व थोरियम (Th) की खोज का काम जरूर हुआ जिसने कुछ हद तक इस काम को आगे बढ़ाने में मदद की।

स्वीडन के वैज्ञानिक कार्ल शीले जरूर इस युग के सितारे कहे जा सकते हैं जिन्होंने आवर्त सारिणी के सात खाने भरे फ्लोरीन, क्लोरीन, मैगनीज, मोलिबडिनम, बेरियम व टंगस्टन इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन की खोज भी प्रीस्टले के साथ की थी। उन्हें रसायन विज्ञान का स्वर्णपदक दिया जा सकता है।

               

अगर हम 1876 से 1900 तक के 25 वर्ष के समय पर गौर करें तो यह पूरी सारिणी का स्वर्णिम अध्याय है जिसमें 19 तत्व खोजे गए। यह इसलिए सम्भव हुआ कि किरचोफ और बुनशन ने इस अवधि में स्पेक्ट्रोस्कोपी का आविष्कार किया इसके अतिरिक्त विकिरणमिति विज्ञान की शाखा के रूप में स्थापित हो गया इसके अतिरिक्त इंग्लैंड की धरती ने रैले, रैम्जे, ट्रेवर्स सहित प्रोफेसर डॉर्न जैसे धुरंदर वैज्ञानिक अपनी कोख से जन्मे जिससे वैज्ञानिकों सहित आवर्त सारणी के अच्छे दिन आ गए। मेंडलीफ ने रैले व रैम्जे को ऐसा आयुष्मान भव और विजयी भव का आशीर्वाद दिया कि हीलियम(He), नियॉन(Ne), आर्गन(Ar), क्रिप्टॉन(Kr) व जिनान(Xe) की खोज हुई और मेंडलीफ की सारणी का शून्य वर्ग स्थापित हो गया।

        

इस स्वर्ण युग की एक बहुत बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने आवर्त सारिणी के लेन्थेनाइड समूह को भरा पूरा परिवार बना दिया। Pr, Nd, Sm, Gd, Dy, Ho, Tu, Yb तत्व इसमें समाहित हो गए। 

एक्टीनियम(Ac) की खोज ने एक्टीनाइड का आगे का मार्ग प्रशस्त किया। रेडॉन(Rn) की खोज ने शुन्यवर्ग पर पूर्ण विराम लगाया। जर्मेनियम की खोज ने आज की मोबाइल क्रांति,ट्रांजिस्टर, डायोड की शुरुआत की।

20 वीं सदी की शुरुआत(1901 से 1925)  में केवल 5 तत्व खोजे जाने का मतलब यह नहीं कि विज्ञान की क्षमता खत्म हो गयी या वैज्ञानिक विकास रुक गया। दरअसल यह इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति में स्थाई तत्वों का भंडार लगभग खाली हो चुका था। गन्ने का सारा रस निकाल लिया गया था और विज्ञान अब दूसरी वैज्ञानिक क्रांति की आवभगत में खड़ा था जिनको संश्लेषित या अंतर संक्रमण तत्व कहा गया। जिन्होंने आवर्त सारणी को पूरा भर दिया।

जब IUPAC ने खुद अपने नियम को तोड़ा

IUPAC ने नियम बनाया कि किसी भी वैज्ञानिक को उसके जीते जी तत्व के नाम से नहीं नवाजा जाएगा। परंतु IUPAC ने अपने खुद के बनाये नियम को उस समय तोड़ दिया जब अमेरिकी वैज्ञानिक ग्लेन सीबर्ग ने एक साथ 10 परा यूरेनियम तत्वों की खोज कर दुनिया में सनसनी फैला दी। उन्हें परमाणु क्रमांक 106 पर जीते जी जगह मिली। इसी प्रकार रूस के वैज्ञानिक यूरी ओगेन्शन जिन्होंने अभी हाल ही में मेंडलीफ की सारिणी के आखिरी तत्व को खोजकर आवर्त सारिणी का उद्यापन कर दिया IUPAC ने तत्काल फ्रांस की राजधानी पेरिस में अपने नियम को पलटते हुए उन्हें जीते जी परमाणु क्रमांक 118 पर हमेशा के लिए स्थान दे दिया। मैँ इन दोनों महान वैज्ञानिकों के चरण स्पर्श कर उन्हें  साधुवाद देता हूँ।


नाम रखने पर विवाद

परमाणु क्रमांक 100 के बाद आने वाले तत्वों को सुपर हैवी एलिमेंट कहा जाता है। परमाणु क्रमांक 101 से 118 के बीच नामकरण करने में वैज्ञानिकों के बीच विवाद और परस्पर विरोधी दावे आने लगे। रोज के इस झंझट से मुक्ति पाने के लिए IUPAC ने सन 1994 में एक आयोग का गठन किया। इस आयोग का नाम CNIC (Commission on Nomenclature of Inorganic Compound) रखा गया। इस आयोग ने पूरी दुनिया  के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से बातचीत के बाद 1997 में परमाणु क्रमांक 101 से 118 तक के लिए एक कामचलाऊ  नाम पद्यति विकसित की और कहा कि अब नाम रखने का पूरा अधिकार IUPAC को ही रहेगा, खोजकर्ता वैज्ञानिक को नहीं। आयोग जो भी नाम सर्वसम्मति से देगा उसे पूरे दुनिया को मानना ही होगा। ये  नाम इस प्रकार दिए गए।

IUPAC ने सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि तत्वों के नाम उनके खोजकर्ता वैज्ञानिकों को उनके जीवित रहते नहीं दिया जाएगा और मरणोपरांत भी जरूरी नहीं कि हम सम्वन्धित खोजकर्ता का नाम दें। हमें कई वैज्ञानिकों जो सैकङो वर्ष पहले दिवंगत हो चुके हैं उनको भी सारिणी में नाम देकर श्रद्धांजलि देना है। इसी के बाद परमाणु क्रमांक 101,102, 103,111, 112 को क्रमशः मेंड़लीफ़, अल्फ्रेड नोबेल साइक्लोट्रोन के खोजकर्ता लॉरेंस, X Ray के खोजकर्ता रोटेनजन व सूर्यकेंद्रित सौरमण्डल सिद्धांत के प्रवर्तक कोपरनिकस को स्थान देकर सम्मानित किया गया        
पर. क्र    CNIC नाम  अस्थाई संकेत   IUPAC नाम   संकेत
101     अननिलअनियम     Unu        मेंडेलीवियम  Md

102    अननिलबाईयम      Unb        नोबेलियम     No

103    अननिलट्राइयम       Unt        लौरेंशियम       Lr

104  अननिलक्वाडियम   Unq     रदरफॉरडीयम   Rf

105   अननिलपेंटीयम       Unp      डबनियम       Db

106  अननिलहेक्सिय       Unh     सीबर्गीयम       Sg

107  अननिलसेप्टीयम      Uns     बोहरीयम        Bh

108   अननिलऑकटियम   Uno     हैशियम          Hs

109    अननिलनिलयम       Une     मेइटनिरियम    Mt

110     अनअननिलिम       Uun     डमस्टेरडीयम  Ds

111    अनअनअनियम     Uuu    रोटेन्जीयम       Rg

112   अनअनबाईयम      Uub     कोपरनिशियम  Cn

           

सबसे कठिन वैज्ञानिक चुनौती

कहा जाता है विज्ञान उसी देश में पनपता है जहां का जनमानस विज्ञान व वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रति सहज होता है तथा उपहास न उड़ाकर वैज्ञानिकों को मनोवैज्ञानिक सम्बल प्रदान करता है। रूसी वैज्ञानिकों को यह बात बड़ी चुनौती लगती थी कि जिस मेंडलीफ को पूरी दुनिया आवर्त सारिणी का अग्रज व पितामह मानती है और पूरा रूस मेंडलीफ को वैज्ञानिक राष्ट्रपिता मानता, है उस महान वैज्ञानिक को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके द्वारा बनाई आवर्त सारिणी को पूरा करने का बीड़ा रूस ही करे। इस तरह सारिणी के अंतिम छः खानों का न भर पाना एक तरह से रूस के वैज्ञानिक समुदाय के लिए शर्म की बात हो गयी।



इस कठिन चुनौती को रूस के मास्को शहर से 110 km दूर दुबना(Dubna) शहर के एक वैज्ञनिक संस्थान Joint Institute of Nuclear Research ने उठाया।इस संस्थान में रूस, अमेरिका, अजरबेजान, कजाखिस्तान के 1200 वैज्ञानिकों, 5500 सहायक वैज्ञानिकों, 1200  रिसर्च करने वाले छात्रों ने 15 साल की रात दिन कड़ी मेहनत के बाद अंततः इन तत्वों को खोज ही डाला और अपने वैज्ञानिक राष्ट्रपिता के चरणों में समर्पित कर दिया।इस अभियान में अमेरिका की लॉरेंस लिवरमोर लेबोरेटरी व जापान की रिकेन लेबोरेटरी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई।



पर. क्र      CNIC नाम   अस्थाई संकेत  IUPAC नाम संकेत

113   अनअनट्राइयम     Uut         नाइहोनियम    Nh
114  अनअनक्वाडिय   Uuq        फ्लेरोवियम      Fl
115  अनअनपेंटीयम    Uup        मास्कोवियम    Mc
116  अनअनहेक्सीयम  Uuh।       लिवरमोरियम  Lv
117   अनअनसेप्टीयम।  Uus        टेनिशिन         Ts
118   अनअनऑकटिय   Uuo       ओगेन्शन        Og

मेंडलीफ की आत्मा जो मुक्ति के लिए भटक रही थी उसे मुक्ति मिली और स्वर्ग में मेंडलीफ को एक स्वर्ण सिंहासन मिला जिसके चारों ओर क्षारीय व क्षारीय मृदा जैसे 14 साधु तत्व, बीच में हर हर मेंडलीफ घर घर मेंडलीफ चिल्लाने वाले 40 संकमण तत्व,  सुंदर नाक नक्श वाली नखरीली 5 नाचने वाली  हेलोजन नर्तकियां, चार शिखंडी जैसे उपधातु सहित विज्ञापन जैसी चमक दमक करने वाली निष्क्रिय परन्तु सक्रिय गैसों सहित बहुमूल्य लेन्थेनाइड व रेडियो धर्मिता बिखेरते एक्टीनाइड का 118 तत्वों का स्वर्ग मौजूद है और आवर्त सारिणी के आखिरी खाने में अपने वैज्ञानिक राष्ट्रपिता को सेल्यूट देते महान रूसी वैज्ञानिक  यूरी ओगेन्शन।

भले ये सारणी भर गई हो लेकिन हमारा दिल अभी भरा नहीं है। अभी मेंडलीफ से 200 वर्ष पूर्व रासायनिक विश्वक्षितिज पर आए रॉबर्ट बॉयल की मुक्ति भी होना शेष है जिन्होंने अपनी पुस्तक Skeptical Chemist में तत्वों की खोज की सीमा रेखा खींचने से मना कर दिया था। शायद उनकी आत्मा एक और मेंडलीफ की अगुआई में खड़ी है।
                            

  रूसी  वैज्ञानिक मेंडलीफ

आवर्त सारिणीं के 150 वर्ष पूरे होने पर हम मेंडलीफ को सादर नमन करते हुए  ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि भारतमाता ने इन 150 वर्षों में एक भी माई का लाल वैज्ञानिक अपनी कोख से उत्पन्न नहीं किया। लेकिन जैसा कि इस शताब्दी के महान अंग्रेज वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने कहा था कि जब किसी वैज्ञानिक शोध का अंत होता है वहीं से गहन शोध की नई सुबह की शुरुआत होती है। एक विनम्र रसायनशास्त्र का शिक्षक होने के नाते मैं जानता हूँ कि भले आवर्त सारिणी आम लोगों को भरी हुई दिखे आफबॉऊ नियम कहता है कि 7p  Sub shell के बाद 8s और उसके बाद 6f  आ सकता है भले ही उसके लिए हमें दशकों वर्षों का शोध क्यों न करना पड़े। भारत के युवा जो कट्टरतावाद के चंगुल में फंसते जा रहे हैं एकबार जरूर मेरी कही बात पर गौर करेंगे।

सादर प्रस्तुत


अवधेश पांडे
28 जनवरी 2020


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