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Showing posts from April, 2019

रासायनिक आवर्त सारिणी की पूर्णता के 150 वर्ष

रासायनिक आवर्त सारिणी की पूर्णता के 150 वर्ष : अवधेश पांडे                      रसायन विज्ञान की अपनी भाषा और अपनी अलग वर्णमाला है जिसे आम आदमी तक पहुंचाना बहुत कठिन कार्य है। गांव की कहावत है कि ‘’गूंगा जानें या उसके घर वाले जानें।‘’ अर्थात गूंगा आदमी इशारे या हावभाव से क्या कहना चाहता है यह या तो वह खुद जान सकता है या उसके घर वाले  ही जान सकते हैं। इस कहावत को मैं उस बात के सम्बंध में कह रहा हूँ जो आज से 110 वर्ष पूर्व जर्मेनियम की खोज करने वाले जर्मनी के वैज्ञानिक क्लीमेंस विंकेलर ने रॉयल सोसाइटी के समक्ष अपना भाषण देते हुए कहा- ‘’ तत्वों की दुनिया एक नाटकीय थियेटर की तरह है। नाटक में रासायनिक तत्व एक के बाद दूसरे दृश्य में किरदारों की तरह आपके सामने आते हैं। हर तत्व बिना कुछ बोले अपने हावभाव और अदाओं से आपको लुभाता है। हर तत्व की अपनी भूमिका होती है न कम न अधिक।‘’ तत्वों की खोज की जो सारिणी दी गयी है उसमें 16 तत्वों की खोज सन 1750 से पहले हो चुकी है। जिनमें 10 तत्व प्राचीन काल से ज्ञात हैं। प्राचीन काल से मत...

मेंडलीफ : वैज्ञानिक अनुभूति प्राप्त एक दार्शनिक रसायनज्ञ

मेंडलीफ : वैज्ञानिक अनुभूति प्राप्त एक दार्शनिक रसायनज्ञ      दुनिया में अनेक ऐसी खोजें और अनेक ऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने समूची मानवता को अचंभित कर दिया और भविष्य में धरती के गर्भ से ऐसी विभूतियां उत्पन्न होती रहेंगीं। देश के गर्भ में जो अनुभूतियां संचित होती हैं उन्हीं को अभिव्यक्त करने के लिए वह दार्शनिकों, वैज्ञानिकों और चिंतकों को अपनी कोख से उगलता है। ये साधक  उस देशकाल की सीमा को लांघकर अखिल भूमण्डल में छा जाते हैं भले ही उनको कोई सम्पन्न वैज्ञानिक विरासत न मिली हो।  जिस वर्ष भारत की भूमि पर गांधी जन्मे ठीक उसी वर्ष रूस में  मेंडलीफ ने दुनिया के समक्ष अपना आवर्त नियम प्रस्तुत किया। उन्होंने उस समय तक ज्ञात 56 तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में रख पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया और कहा कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक मेरे इस संकल्प पत्र को पूरा करें। खाका मैंने खींच दिया है इसे भरना मानवजाति के आगे बढ़ने के रूप में देखा जाएगा। आश्चर्य इस बात का है कि इन 56 तत्वों में एक की भी खोज रूस के किसी वैज्ञानिक ने नहीं की थी। 56 तत्...