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Showing posts from February, 2019

क्या हुआ 12 व्यक्तियों का जो चन्दमा की सतह पर चले

क्या हुआ उन 12 पुरुषों के साथ, जिनके कदम पड़े थे चांद पर? By Ram Kishor | Published: Jul 23, 2018 19:13 pm IST   1/13 याद हैं चांद पर कदम रखने वाले ये चेहरे? चंदा छुपा बादल में’, ‘चंदा मामा दूर के’, चांद सी महबूबा हो मेरी’ जैसे कई हिंदी गाने हैं, जो चांद पर लिखे गए। इन्हें लिखने वाले कभी चांद पर नहीं गए। लेकिन उनकी कल्पनाओं में चांद ऐसा है। आपको वो लोग याद हैं ना, जो चांद पर जा चुके हैं? नील आर्मस्ट्रांग तो सबको याद हैं, क्योंकि वह पहले शख्स थे जिन्होंने चांद पर कदम रखा था। लेकिन इनके बाद भी कई अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए और उसकी जमीन पर अपने निशां छोड़े। लेकिन दुनिया उन्हें नहीं पहचानती! क्योंकि दुनिया फर्स्ट नंबर वाले को याद रखती है। हम यहां आपको उन 12 पुरुषों के बारे में बता रहे हैं, जो चांद पर गए। लेकिन आज कहां हैं, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। 2/13 नील आर्मस्ट्रांग Source: NASA 20 जुलाई 1969 को चांद पर अपोलो 11 मिशन से गए नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन गए थे। एक अंतरिक्ष यात्री और वैमानिक इंजिनियर नील आर्मस्ट्रांग साल 1971 में नासा (द नेशनल एयरोनॉटिक्स ए...

विज्ञान में नकारात्मकता और अंतर्विरोधों की विनम्र भूमिका

 विज्ञान में नकारात्मकता और अंतर्विरोधों की विनम्र भूमिका                       28 फरवरी 1928 को सर सीवी रमन ने स्पेक्ट्रोस्कोपी में एक महत्वपूर्ण खोज की थी जिसे रमन प्रभाव कहा जाता है । इस दिन को जीवंत बनाने के लिए 1987 में भारत सरकार ने हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस खोज के लिए उन्हें भौतिक विज्ञान का नोवेल पुरुस्कार मिला था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हम विज्ञान के विकास में अंतर्वि रोध और नकारात्मकता की विनम्र भूमिका की चर्चा करेंगे।                   हम जानते हैं कि अंतर्विरोध और नकारात्मकता को प्रायः अच्छा नहीं माना जाता और हम सभी को यही कहा जाता है कि  अंतर्विरोध व नकारात्मक विचारों से बचिए क्योंकि इससे कुछ भी हासिल नहीं होता। पर यह भी एक विचित्र तथ्य है कि विज्ञान में प्रायः सभी अनुसंधान अंतर्विरोध और नकारात्मकता से ही शुरू होते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अब ये निश्चित हो चुका है कि विज्ञान में कुछ भी नकारा...