गांधी की जिंदगी का आखिरी महीना : अवधेश पांडे मुझे प्रायः लगता है कि हमें व्यक्तिओं को याद करना है तो हमें व्यक्तिओं के उस दिन से याद करना चाहिए जिस दिन से उन पर रोशनी पड़ती है | उनके जीवन का कोई पक्ष प्रकाशित होता है | अगर हमें गांधी की जिंदगी में कोई ऐसा दिन चुनना हो जो फ्लड लाइट हो अर्थात जिस दिन उनके जीवन का प्रत्येक पक्ष प्रकाशित हो उठता है, तो वह दिन है 30 जनवरी 1948 | उस दिन से गांधी के जीवन का पूरा अर्थ समझ में आता है | और प्रायः लोगों के साथ ऐसा होता है कि उनके जन्म से नहीं उनकी मृत्यु से और मृत्यु के तरीके से हम उनके जीवन का पूरा अर्थ समझ पाते हैं | वो क्यों जिये ये उनकी मौत से पता चलता है | और गांधी की मौत पर विचार करते हुए हमें उनकी जिंदगी के मायने समझ में आते हैं | गांधी की मृत्यु के बाद उन्हें याद करते हुए उनके प्रिय शिष्य जवाहरलाल नेहरू ने लिखा ‘’यह एक महाकाव्यात्मक जीवन का महाकाव्यात्मक अंत था। it was an epic end of epic life. गांधी का जीवन घटनापूर्ण और नाटकीय था शायद ही उनकी जिं...