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Showing posts from October, 2017

दीपावली : अंदर की ज्योति जलाने का त्योहार

अवधेश कुमार पांडे  व्याख्याता यह प्रकाश पर्व है और इसी दिन लक्ष्मी जी की आराधना खुलकर की जाती है। बाकी दिन आदमी अपने आपको निस्वार्थ और परोपकार में लीन रहने का दिखावा करता है और अध्यात्मिक ज्ञान का भी प्रदर्शन करता है लक्ष्मी जी की आराधना और बाह्य प्रकाश में व्यस्त समाज में बहुत लोग ऐसे भी हैं जो अंधेरों में आज भी रहेंगे और उनके लिये दीपावली एक औपाचारिकता भर है।बेहतर हो हम उनके अंधेरे के लिए लड़ें |  जिनके पास लक्ष्मी जी की कृपा है ऐसे बाह्य प्रकाश में लिप्त लोगों को आंतरिक प्रकाश की चिंता नहीं रहती जो कि एक अनिवार्य शर्त है जीवन प्रसन्नता से गुजारने की।भारत की सभ्यता कोई आजकल की सभ्यता नहीं, हजारों बर्ष पुरानी सभ्यता है | भारतीय सभ्यता इसलिए महान नहीं कि यह सोने की चिड़िया कही जाती है या यहां दूध और घी की गंगा कभी बहती थीं आपितु यह देश ज्ञान के  क्षीर सागर व ज्ञान के वैभव के कारण विश्वगुरु रहा है |  भारत में वैभव विलास के कई सूरज उगे और कई डूबे पर व्यक्ति जिसे खोज रहा है, जिस शांति को तलाश रहा है वह शान्ति रुपयों के हुड़डंग में नहीं अपितु व्यक्ति के शील म...